चम्पा अथवा भागलपुर कज्जुगल अथवा राजमहाल
तथा पौंडूवर्धन अथवा रङ्गपुर इत्यादि थे। हमारे चीनी
यात्री ने यहां के राजाओं के नाम नहीं दिये । इन राज्यों
से लगा हुआ कामरूप वा आसाम का राज्य था। वहां
के राजा भास्कर वर्मा अथवा कुमारराजा का उल्लेख
पूर्व हो चुका है। इन सब पर हर्ष शासन करता था।
इस समय बङ्गाल में कर्णसुवर्ण, समतट और
ताम्रलिप्ति ( मिदनापुर ) इत्यादि मुख्य नगर थे । कण-
सुवण के शशाङ्गगुप्त उपनामधारी नरेन्द्रगुप्त ने राज-
वर्धन का वध किया था, तथा वह बौद्धों को परास्त
कर चुका था इस पर पूर्व ही विवेचन किया जा चुका
है। इसके मरने के बाद इसका राज्य कुमारराजा को
दे दिया गया। समतट अर्थात् पूर्व बङ्गाल में ब्राह्मण
वंशी राजे राज्य करते थे। इस वंश के किसी एक
बौद्ध संन्यासा स [येनत्सङ्ग की भेंट हुई थी । ताम्र-
लिप्ति पर किसका अधिकार था यह पता नहीं लग
सका परन्तु उपरोक्त तीनों नगरों पर हर्ष का
प्रभुत्व था यह निर्विवाद है।