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श्री हर्ष


स्वतंत्र राजा होने पर भी महासामन्त ही कहाता था। हर्ष ने वल्लभी के राजा ध्रुवभट्ट पर जब चढ़ाई की तब इसी दादा ने वल्लभी राजा को सहायता दी थी ऐसा कहा जाता है, इसका उल्लेख हम पूर्व कर चुके हैं।

इसके बाद ह्युयेनत्सङ्ग ने मोलपो, अथवा मालवा राज्य का वर्णन किया है। वह लिखता है कि "इसकी राजधानी मही नहीं की आग्नेय दिशा की ओर थी....नैऋत्य दिशा में स्थित मालवा और ईशान दिशा में मागध, यह दो विद्या के मुख्य केंद्र थे" यह वर्णन समस्त मालवा का है, परन्तु ह्युऐनत्सङ्ग का मोलपो आजकल का पश्चिम मालवा होना चाहिये, और महीनदी के उस पार की धार नगरी उसकी राजधानी होगी। जौनपुर के ईश्वरवर्मा के शिलालेख में धारा का नाम आता है, इस लिये यह नगरी इस समय भी होगी। इस पश्चिम मालवा का राजा कौन था, इस का पता नहीं लगा। ह्युयेनत्सङ्ग लिखता है, कि उसके वहां जाने के साठ वर्ष पूर्व शिलादित्य नामक दयालु नामक राजा राज्य करता