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श्री हर्ष

इस के बाद सिन्ध आता है, इसकी राजधानी सिन्धु नदी के उस पार थी तथा पश्चिम और दक्षिण में, नदी पर स्थित, दो तीन छोटे राज्य इस के आधीन थे, अर्थात् आजकल के सिन्ध जितना ही उस समय का सिन्ध प्रदेश था। यद्यपि वहां का राजा बलवान था तथापि प्रभाकर वर्धन और हर्ष ने उसे हराया था, यह हम ऊपर लिख ही चुके हैं। ह्युयेनत्सङ्ग लिखता है कि यह राजा बौद्ध धर्मी शूद्र था। चचनामा में लिखा है कि ब्राह्मण राजा 'चच' के पहिले एक वंश वहां राज्य करता था। इस वंश का पूर्वज दैवेज था और इसका अन्तिम राजा साहसीराय था। साहसी के मरने के बाद उसके दरबारी ने गद्दी धर दबायी और उसकी विधवा के साथ विवाह किया। इ. स. ६३२ में मुसलमानों ने सिन्ध पर पहिली वार चढ़ाई की थी उस समय वहां चच राजा था और ३५ वर्ष से वह राज्य कर रहा था ऐसा चचनामा के लेखक का कथन है। इ. स. ५९७ में उसने गद्दी छीन कर चालीस वर्ष तक राज्य किया। अब इ. स.