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श्री हर्ष


इन सब वाक्योंके दो अर्थ हो सकते हैं इन वाक्यों के एक अर्थसे हर्षके दिग्विजय पर एक दृष्टिपात कर सकते हैं। वह इस प्रकार है कि "इस विजेताने कई राजाओंको (उनके अपने राज्य में) स्थिर कर दिया, और उनके सहायकों को मार भगाया। इस प्रजापतिने सब राजाओं तथा सरदारों को क्षमा प्रदान की (और राज्य करने दिया) इस पुरुषोत्तमने सिन्ध का राज्य जीत कर उसका धन आधीन कर लिया। इस बलवान राजाने राजा (कुमार) को हाथी की सूंडसे छुड़ा कर हाथीको भगा दिया। इस महा ऐश्वर्य वालेने हिमालय पर्वतके दुष्प्राप्य देशोंसे भी कर लिया। इस लोकनाथ ने भिन्न भिन्न देशोंमें रक्षक तथा अधिकारी नियत किये "इन वाक्यों पर से तो यह प्रकट होता है कि हर्षने भारतके मुख्य भागों पर आक्रमण किये थे और प्रत्येक राजाको अपने राज्यमें स्वतंत्र राज करने की स्वीकृति दी थी। इस समय ऐसा नियम नहीं था कि जीतने वाला राजा दूसरे राज्यों को अपने राज्य में जोड़ ले, किन्तु पराजित राजा, विजेता का प्रभुत्व स्वीकार कर उसको