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श्री हर्ष


पसन्द करते हो, यह बहुत ठीक है परन्तु क्या तुमारे नायक अथवा उसके किसी अनुचर ने किसी स्त्री को जङ्गल में देखा है। निर्घात जे उत्तर दिया “महाराज आपकी आज्ञानुसार खोज हो रही है, यहां से एक कोसकी दूरी पर दिवाकरमित्र नामक ऋषि रहता है स्यात उसे इस सम्बन्ध में कुच्छ मालूम हो। यह सुन हर्ष को स्मरण हुआ, कि कदाचित् ग्रहवर्मा का एक बालस्नेही जो मैत्रयणि शाखा का था और जिसने वैदिक धर्म को छोड बौद्ध धर्म स्वीकारकर बाल्यावस्था से ही भगवे वस्त्र धारण किये थे यह वो ही ऋषि हो, यह सोचकर उसकी उससे मिलने की उत्कण्ठा हुई उससे रास्ता पूछ कर हर्ष वहां गया, उस समय उसके साथ माधव गुप्त भी था।

दिवाकर ऋषि को प्रणाम कर वह सब खड़े रहे। ऋषि ने उन्हें बैठने को आसन दिया। कुछ वार्तालाप अनन्तर हर्ष ने पूछा “भगवन राज्यश्री का पता लगाना मेरी एक ही एक बहिन अपने पति के वध के बाद शत्रुओं से बचकर विन्ध्या पर्वत में आई है। हम इसे