सरस्वती के तौर पर आया और वहां के मुखिया के साथ आये हुए ब्राह्मणों को उसने १०० गांव इनाम में दिये।
प्राग ज्योतिष की ओर से हर्ष को भेटजिस समय हर्ष आगे बढ़ने की तैय्यारी में था उस समय प्राग ज्योतिष (आसाम) के राज- कुमार की ओर से हंसवेग नामक एक विश्वास पात्र पुरुष मिलने को आया। उसने आभोग नामी एक अद्भुत छत्री तथा अन्य कई वस्तुओं की भेंट दी तथा अपना सन्देश एकान्त में कहने की प्रार्थना की। एकान्त में उसने 'आमोग' का इतिहास बतलाया। पूर्वकाल में एक नरक नाम से प्रसिद्ध वीर पुरुष हुआ है, उसने वरूण से उसकी बाह्यह्रदयरूपी यह छत्री प्राप्त की थी। इस नरक के वंश में भगदत्त, पुष्पदत्त और वज्रदत्त जैसे महान राजा हो गये हैं। इसी वंश में इन राजाओं के पश्चात सुस्थिरवर्मा नामक एक महाराजाधिराज हुआ है जो मृगाङ्क के नाम से प्रसिद्ध था। वह कैलास के महाराजा भूतिवर्मा के पुत्र चन्द्रमुखवर्मा के
पुत्र स्थितिवर्मा का पुत्र था। उसकी पत्नीका नाम श्यामा