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श्री हर्ष


दिया तथा प्रायश्चित रूप में अपनी पुत्री का उससे विवाह कर देने का वचन दिया। विश्वासी राज्यवर्धन थोड़े पुरुषों को लेकर उसकी छावणी में प्रविष्ट हुआ । खाते समय शशाङ्कगुप्त ने राज्यवर्धन का वध कर झटपट अपने देश का रास्ता पकड़ा। इतने में कन्नौज के रहने वाले कोई गुप्त सरदारने भण्डी को भरमाने के हेतु राज्यश्री को मुक्त कर किसी अन्य स्थान पर भेज दिया।

इस समय हर्ष का वय कितना होगा, यह स्थिर करना चाहिये। बाण का कथन है, कि राज्यवर्धन तथा हर्ष में तीन वर्ष का, तथा हर्ष और राज्यश्री में दो वर्ष का अन्तर था। जब कुमारगुप्त और माधवगुप्त सङ्गी नियत हुए तब बाण के "अष्टादश वर्षवयसं" वाक्यानुसार कुमारगुप्त १८ वर्ष का था। इसके एक वर्ष बाद राज्यश्री का विवाह हुआ, तथा इसके एक वर्ष बाद, प्रभाकरवर्धन की मृत्यु हुई । यदि राज्यवर्धन और कुमारगुप्त को समानवयस्क मान लिया जाय तो इस समय राज्यवर्धन की आयु १९ वर्ष की होगी अर्थात् फिर हर्ष का वय १६ वर्ष का होना चाहिये