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श्री हर्ष


अयोध्या के फैज़ाबाद जिले के पितारी गांव के मौखरि वंशीओं के कई सिक्के प्राप्त हुए हैं। इन सिक्कों पर ईशानवर्मा शर्ववर्मा और अवन्तिवर्मा तथा हर्ष, प्रतापशील, शिलादित्य आदि राजाओं के नाम हैं। इस परसे ऐसा कहा जा सकता है कि गंगा तट के ऊपर के भाग पर गुप्त राजाओं के राज्य के पश्चात् मौखरि राजाओं का राज्य स्थापित हो गया था।

मौखरिवंश का इतना परिचय दे चुकने पर अब हम हर्ष केहर्ष का जन्म कालजन्म काल पर विचार करेगें उसकी जन्म तिथि किसी शिलालेख अथवा बाण कवि के हर्ष चरित्र में भी नहीं दी हुई। परन्तु बाणने "ततश्च प्राप्ते ज्येष्ठा मूलीये मासि बहुलासु बहुलपक्षद्वादश्यां व्यतीते प्रदोष समये समारुरुक्षति क्षपायौवने सहसैवान्तःपुरे समुदपादि कोलाहल: स्त्री जनम्य" हर्ष चरित में ऐसा लिखा है। इससे हम हर्ष की जन्म तिथि निश्चित कर सकते हैं। बाण के लेखानुसार हर्ष ज्येष्ठ बदी बारह की रात के दस बजे के लगभग चन्द्र कृतिका नक्षत्र में उत्पन्न हुवा था। विक्टोरिया कालेज लश्कर (ग्वालियर) के प्रोफे-