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श्री हर्ष


रानी ने यह विचित्र स्वप्न देखा, कि दो युवक तथा एक युवती उसका पेट चीर कर अन्दर आ रहे हैं। इससे वह चौंक उठी और चिल्लायी। यह स्वप्न यथार्थ निकला कुछ कालानन्तर यशोवति ने राज्य वर्धन को जन्म दिया इस के तीन वर्ष पश्चात् श्रावण मास में यशोवति गर्भवती हुई और यथा समय उसने श्रीहर्ष को जन्म दिया। इस के दो वर्ष पश्चात् राज्यश्री नामक कन्या उत्पन्न हुई। इस समय यशोमति के भाई ने अपना आठ बरस का लड़का भण्डी राज कुमारों के सहवास में रखा। प्रभाकर वर्धन ने मालवा के गुप्त राजा के कुमारगुप्त और माधवगुप्त नामक राज कुमारों को भी अपने दोनों राजपुत्रों के साथ रखा, इस प्रकार यह चारों कुमार साथ रहने लगे। राजश्री भी दिनों दिन बढ़ने लगी। एक दिन प्रभाकर वर्धन ने निन्मलिखित ' आर्या श्लोक ' किसी को गाते सुना-

उद्वेगमहावर्ते पातयति पयोधरोन्नमन काले।
सरिदिव तटमनुवर्षं विवर्धमाना सुता पितरम॥

जिस प्रकार वेग युक्त नदी निकट वर्ती किनारों को