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श्री हर्ष
सत्ताहीन हो गया, और तब इस के छिन्नभिन्न वंशज भारत के कई अलग अलग स्थलों पर राज्य करने लगे। गुप्त वंशी राजाओं के अन्तिम काल में हूण जाति द्वारा भारत पर आक्रमण हुआ, तब मालवा के राजा यशोधर्म तथा मगध के बलादित्य ने मिलकर उन्हें मार भगाया। इस के पश्चात् गुप्त वंश के राज्य विस्तार में अनेक नवीन राज्य प्रख्यात हुए। इनमें श्रीकण्ठ अन्तर्गत स्थाणीश्वर (थानेश्वर) के वर्धन और कान्यकुब्ज (कन्नौज) के मौखरि मुख्य थे। इन्होंने भी हूण लोगों के हराने में भाग लिया था।
कन्नौज के वर्धन वंशाओं में से पुष्प भूति नामक हर्ष के पूर्वजहर्ष के पूर्वज राजा हमारे चरित्र नायक श्री हर्षवर्धन का बहुत दूर का पूर्वज था, ऐसा उस समय के कवि बाण ने अपने रचित 'हर्षचरित' में लिखा है। मधुबन तथा बंसखेर के प्राप्त ताम्र पत्रों[१] पर से निन्न लिखित वंशावली तय्यार हो सकती है।
- ↑ देखो परिशिष्ट पहिला तथा दूसरा