ऐतिहासिक काव्य मिले और प्रकाशित हुए हैं। इनमें से कुमारपालचरित और गौड़वध प्राकृत भाषा के काव्य हैं। नवसाहसाङ्कचरित में ऐसी बातें हैं जिनका करना मनुष्य की शक्ति के बाहर है, हम्मीरवध, विक्रमाङ्कदेवचरित की अपेक्षा बहुत छोटा और उससे कई बातों में हीन भी है। अतएव आजतक प्राप्त हुए संस्कृत भाषा में लिखे गये जीवनचरितरूपी पद्यात्मक काव्यों में विक्रमाङ्कदेवचरित का पहला नम्बर है। इसी लिए उसके विषय में हिन्दी जाननेवालों के लिए हमने यह निबन्ध लिखना उचित समझा। नैषधचरितचर्चा में जिस नवसाहसाङ्कचरित का नाम हमने लिखा है वह श्रीहर्ष-कृत है, और जिस नवसाहसाङ्कचरित का उल्लेख यहाँ पर हमने किया वह परिमल, उपनाम पद्मगुप्त कृत है। जैसलमेर के पुस्तकालय के सूचीपत्र में श्रीहर्ष-कृत नवसाहसाङ्कचरित का भी नाम पाया जाता है, जिससे यह सूचित होता है कि किसी समय वह पुस्तक भी उस पुस्तकालय में विद्यमान थी परन्तु अब वह वहाँ नहीं है। उसमें गौड़देश के राजाओं का चरित है। यदि वह चरित मिलता तो सम्भव है कि अनेक ऐतिहासिक बातों
पृष्ठ:विक्रमांकदेवचरितचर्चा.djvu/१०
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
(४)