सभी आबाल - वृद्ध दानवों ने भूमि पर लोटकर रक्षपति रावण की अधीनता स्वीकार कर ली । राक्षसों ने वह सुन्दर द्वीप , हर्म्य, सौध , स्वर्ण, रत्न , राज्य अपने अधीन कर लिया । द्वीपों में सर्वत्र रावण की दुहाई फिर गई ।