यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
निधन ऐसा था , जिसने सम्पूर्ण अनार्य बल तोड़ दिया था । इसी से राम का नाम और यश इन द्वीपों में फैल गया और भूमण्डल में राम विख्यात हो गए। लोग महिदेव और जगदीश्वर की भांति रावण के स्थान पर राम की ही पूजा करने लगे । चम्पा , कम्बोडिया , थाईलैण्ड , वर्मा में भी राम- प्रताप व्याप गया । यूरोप की जातियां किसी - न -किसी राम-प्रभावित प्राचीन जाति से ही सम्बन्धित हैं । अत : यूरोप के प्रमुख देश - जैसे इंग्लैण्ड, स्पेन, स्वीडन , नार्वे, स्कैण्डीनेविया , ग्रीस और इटली भी राम- प्रभाव से मुक्त न रह पाए। इस प्रकार आज के सब देशों में इस आर्यनेता विजेता मर्यादापुरुषोत्तम राम का किसी -न -किसी रूप में सांस्कृतिक मिश्रण है ।