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यह कहकर अंधकार में विलीन हो गया । रावण ने खड़े होकर कहा - “ चलो, अब हम भी चलें । सब योद्धा तैयार हो जाएं । " उसने अपने साथी सुभटों पर दृष्टि डाली, और परशु कन्धे पर रख चल पड़ा । उसके पीछे दैत्य, दानव, असुर, योद्धा शक्ति शूल , खड्ग , परशु, ऋष्टि, पाश, मूसल, गदा , परिघ , बाण , धनुष , दण्ड ले चले । सबके पीछे वृद्ध व्याघ्र दैत्येन्द्र लंकापति सुमाली - वज्रपाणि था ।