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और सुग्रीव सहित मार डालूंगा । फिर तो बस इस कुलद्रोही विभीषण को दण्ड देना ही शेष रह जाएगा। " रावण के ये वचन सुन वृद्ध दैत्य सिर झुकाए चुपचाप बहुत देर तक खड़ा रहा । फिर - हे रक्षपति , तेरी जय हो ! इतना कह, धीरे - धीरे सभा - भवन से चला गया । रावण भी कुछ देर तक विमूढ़- सा बैठा रहा । फिर उसने लंका की रक्षा - योजना बनाई । पूर्व द्वार की रक्षा का भार प्रहस्त को , दक्षिण द्वार महापाश्र्व और महोदर को , पश्चिम द्वार मेघनाद को सौंपा और उत्तर स्वयं अपने हाथ में लिया । महाबली विरूपाक्ष को नगर का मध्य भाग दिया । सम्पूर्ण रक्षित सैन्य का स्वामी कुम्भकर्ण को बनाया । इस प्रकार लंका की सुरक्षा का प्रबन्ध कर , सब योजनाओं पर विचार -विमर्श कर वह अन्त : पुर में चला गया ।