48. माया का वर्ष -नक्षत्र पुरातत्त्व और इतिहास इस बात के साक्षी हैं कि अब से हजारों वर्ष पहले उत्तर अमेरिका के दक्षिण सीमान्त में , जिसे आजकल मध्य अमेरिका कहते हैं , मय नाम की अत्यंत शक्तिशाली जाति रहती थी । हमारे प्राचीन पुराण - साहित्य में मय एक दानवेन्द्र है , जो वास्तुशास्त्र का आदि पुरुष माना जाता है । अमेरिका की यह मय जाति भी विशालकाय शिलाभवनों के निर्माण में प्रसिद्ध थी । ‘ मय ने असुरों, दानवों और दैत्यों के लिए बड़े- बड़े प्रासाद , नगर, हर्म्य और पुरों का निर्माण किया था । त्रिपुर -युद्ध में इस जाति के नेता दानव को शिव ने आक्रान्त कर उसके त्रिपुर का विध्वंस किया था । वर्तमान मिस्र के पच्छिम में त्रिपोली प्रदेश है व उसका मुख्य नगर त्रिपोली है । यही वह त्रिपुर है, जिसे शिव ने विध्वंस किया था । त्रिपोली प्रदेश का कुछ भाग, जो सिरटियन सागर के नाम से प्रसिद्ध है , जलमग्न है। अभी कुछ दिन पूर्व इस जलमग्न नगर का पता पुरातत्त्व के अन्वेषकों को लगा था । अमेरिका के प्राचीन ‘ मय’ लोगों के भवन , मन्दिर और स्तम्भ आश्चर्यचकित करने वाले हैं । मय जाति की सभ्यता आश्चर्यजनक और रहस्यपूर्ण है। पाश्चात्य पुरातत्त्वविद् उसे अमेज़िंग और पज़लिंग कहते हैं । इस मय जाति के साम्राज्य की प्राचीन राजधानी चिचेन आइज़ा थी , जिसके भग्नावशेष , ध्वस्त देव - मन्दिरों के अवशेषों तथा राजप्रासादों की खुदाई से जो सामग्री मिली है, उससे इस प्राचीन महाजाति की अद्भुत सभ्यता और कला - कौशल का कुछ अनुमान किया जा सकता है। अद्भुत रीति से निर्मित कई प्राचीन मय-नगरियों का उद्धार अभी हाल में जंगलों को तथा सदियों के पंक - प्रलेप आदि को परिष्कृत कर किया गया है। चिचेन आइज़ा - जो इस मय - साम्राज्य की कभी राजधानी रही थी - अतीव सुन्दर नगरी थी । उस नगरी की दीवारें रंग -बिरंगी और विविध कलाचित्रों से चित्रित थीं । ग्रीष्म ऋतु के विहार , खेल - कूद और आमोद- उत्सव के अनेकोंचिह्न वहां मिले हैं । कुछ लोगों का यह भी अनुमान है कि ग्वाटेमाला की उच्च सम भूमि पर अवस्थित वेटेन नामक झील के निकट इन मय लोगों का प्रथम उपनिवेश था । वहां से उत्तर की ओर वे ‘ युकटन तक पहुंचे और चिचेन आइज़ा नगरी की स्थापना की । आरम्भिक छः शताब्दियों तक मैक्सिको की खाड़ी से लगाकर होंड्रास उप सागर - पर्यन्त भिन्न -भिन्न स्थानों में मय लोगों ने निवास किया । नगर बसाए , भवन और देवस्थान बनाए । यह वह युग था , जब वहां का यातायात अति कठिन था । यह एक चमत्कारिक बात है कि इन कठिन समयों में इस जाति ने कैसे ऐसी उन्नति कर ली ? पीछे उन्हें दुर्दिनों का सामना करना पड़ा । उनमें सम्भवतः बड़े -बड़ेनिर्णायक युद्ध हुए । तभी अनेक सम्पन्न नगरों के साथ उनकी महानगरी चिचेन आइज़ा भी उजड़ गई । मय जाति के बनाए हुए नगरों में गगनचुम्बी अट्टालिकाएं थीं । उनके राज-मार्ग
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