पृष्ठ:वयं रक्षामः.djvu/१२७

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

शम्बर भी उठकर शूल लेकर रावण पर झपटा । उसने भरपूर वेग से शूल रावण के ऊपर फेंका। शूल रावण के पाश्र्व में घुस गया । पर रावण ने परशु सिर पर घुमाकर असुर पर आघात किया । असुर घूमकर वार बचा गया , किन्तु वह घुटनों के बल गिर गया । रावण ने फिर परशु का प्रहार किया । असुर ने लेटकर प्रहार बचा, रावण के पैरों में घुस , उसे गिरा दिया । परशु हाथ से छूट गया । दोनों योद्धा परस्पर गुंथ गए। दोनों एक - दूसरे पर लात - मुक्कों का प्रहार करने लगे । दोनों एक - दूसरे को दलमल करने लगे । दोनों के शरीर और नाक -मुंह से रक्त झरने लगा। लड़ते - लड़ते ही दोनों योद्धा फिर खड़े हो गए। असुर ने विकराल खड्ग उठाया । रावण ने अपना परशु लिया । दोनों घात -प्रतिघात करने लगे । रावण प्रबल पराक्रम से भिड़ गया । अन्त में असुर ने खड्ग का रावण के सिर पर प्रहार किया । उस प्रहार से रावण का किरीट गिर गया और वह बेसुध होकर कटे वृक्ष की भांति धरती पर गिर गया । शम्बर ने उसके हाथ - पैर बांधकर अन्धकूप में डलवा दिया ।