पृष्ठ:वयं रक्षामः.djvu/१०९

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समागत अनार्यों की नई जातियां बस रही थीं । इस प्रकार जिस समय राक्षसेन्द्र रावण अपना नवीन सार्वभौम धर्मराज्य स्थापित करने का उद्योग कर रहा था , अयोध्या की मुख्य गद्दी पर दशरथ राज्य कर रहे थे। दशरथ महान योद्धा और प्रतापी राजा थे। उनकी तीन महिषियां थीं । प्रथम - दक्षिण कोशलाधिपति भानुमान् की पुत्री कौशल्या । दूसरी – मगध राजकुमारी सुमित्रा। तीसरी - उत्तर - पश्चिमी आनव- नरेश केकय की पुत्री कैकेयी । दशरथ ने सिन्धु, सौवीर , सौराष्ट्र, मतन्यु , काशी , दक्षिण कोशल , मगध , अंग , बंग , कलिंग और द्रविड़ नरेशों को जीता तथा दिवोदास की सहायता की थी और वैजयन्ती के कुलीतर के वंशधर तिमिध्वज शम्बर असुर को , जो रावण का साढ़ था , मारा था । अंग - नरेश लोमपाद इनके मित्र थे। अब राम यौवराज्य पा रहे थे । ___ आर्यावर्त में इस काल में सूर्यवंशी राजाओं के अतिरिक्त उत्तर कोशल की दूसरी शाखा में हरिश्चन्द्र - रोहिताश्व , तीसरी शाखा में सगर , दक्षिण कोशल राज्य में सुदास या मित्रसह कल्माषपाद , विदेह में सीरध्वज , विदेह की संकाश्य शाखा में धर्मध्वज , वैशाली में प्रमति , शर्यात शाखा में मधु यादव राज्य कर रहे थे। सूर्यवंश की इन गद्दियों के अतिरिक्त जो समृद्ध राजवंश थे, उनमें प्रमुख चन्द्रवंश था , जिसकी मुख्य गद्दी पर प्रतिष्ठान में सार्वभौम, विदर्भ में धृतिमन्त, उत्तर पांचाल में शौनक सुदास , दक्षिण पांचाल में रुचिराश्व , मगध में सुधन्वा, काशी में ऋतुध्वज , माहिष्मती में सहस्रार्जुन , मालव में दुर्जय तथा उत्तरी बिहार में सुबाहु राज्य कर रहे थे। दुर्जय सुप्रतीक , लोमपाद और युद्धाजित् भी इसी काल के नरेश थे। इन राज्यों में विचरने वाले ऋषियों में वशिष्ठ, विश्वामित्र, वामदेवऋष्य - शृंग , मित्रभ काश्यप, सामकाश्व, देवाट्र , मधुच्छन्दस् , प्रतिदर्श, गृत्समद, अलर्क और भरद्वाजप्रमुख थे।