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गौतम बुद्धका समय

तक मैसीडोनियाका अधिपति था। मग या मगस (Magas) सिरीन देशका स्वामी था। वह २५८ ई॰ पू॰ में मरा था। अलेकजांडर (Alexander) पिरिस-देशका राजा था। उसका समय २७२ से लेकर २५८ ई॰ पू॰ तक निश्चित है।

मालूम होता है कि अशोकने, अपने राजा होनेके नवें और तेरहवें वर्षके बीच, अपने धर्म-प्रचारकोंको इन देशोंको भेजा होगा। वे लोग २६१ और २५८ ई॰ पू॰ के बीच वहां पहुंचे होंगे: क्योंकि इसी समय पूर्वनिर्दिष्ट सभी नरेश जीवित थे। धर्म-प्रचारक लोग सम्भवतः कलिङ्ग-युद्धके बादही मगधसे चल दिये होंगे और कोई एक सालमें ऊपर नाम दी हुई यूनानी रियासतोंमें पहुँचे होंगे। इससे हम अनुमान कर सकते हैं कि अशोकके राज-तिलकका दसवाँ वर्ष २६० ई॰ पू॰ से मिलता-जुलता है। अथवा यों कहिये कि अशोकका तिलकोत्सव २६९ ई॰ पू॰ में मनाया गया था। बौद्ध-ग्रन्थोंमें लिखा है कि गद्दीपर बैठनेके चौथे वर्ष अशोकका राजतिलक हुआ था। इसके बाद उन्होंने कोई ३७ वर्ष राज्य किया था। इससे हम अनुमान कर सकते हैं कि अशोकने २७३ से लेकर २३१ ई॰ पू॰ तक राज्य किया था।

अब चन्द्रगुप्त के समयका निश्चय करना चाहिये। लङ्काके बौद्ध-ग्रन्थों में लिखा है कि चन्द्रगुप्तने २४ वर्ष और उसके पुत्र बिन्दुसारने (अशोकके पहले) २८ वर्ष तक राज्य किया। यही बात वायु-पुराण-से भी सिद्ध होती है। इससे प्रकट है कि चन्द्रगुप्त ३२५ ई॰ पू॰ में गद्दीपर बैठा था। बस इसी समयसे मौर्य्य संवत् शुरू होता है।