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उत्तरी ध्रुवकी यात्रा


ध्रुव-प्रदेशके इन यात्रियोंने अपनी-अपनी यात्राओंका वर्णन लिखकर प्रकाशित किया है और उस प्रदेशमें रहनेवाली स्कीमो नामक मनुष्य-जातिके विषयमें भी अनेक ज्ञातव्य बातें लिखी हैं। क्योंकि इन लोगोंकी सहायताके बिना अन्यदेशवासी ध्रुव-प्रदेशमें अधिक दूरतक नहीं जा सकते। इन्हीं लोगोंके वर्णनोंके आधारपर, नीचे, हम उत्तरी ध्रुवकी यात्रा और वहाँके निवासियोंके विषयमें कुछ बातें लिखते हैं— पृथ्वीके उत्तरी छोरको उत्तरी ध्रुव कहते हैं। उसके आप-पास ज़मीन बिलकुल नहीं; चारों तरफ़ समुद्र-ही-समुद्र है। पर उसमें प्रायः पानी नहीं। बहुत करके सर्वत्र जमी हुई बर्फकी राशियाँ-ही-राशियों हैं। यह बर्फ भी सब कहीं एकसी, अर्थात् सम, नहीं। कहीं वह सैकड़ों फुट ऊँची है और कहीं दो-ही-चार फुट। वहां खाद्य पदार्थका कहीं पता नहीं कोई चीज़ उत्पन्न ही नहीं होती। जो लोग ध्रुवप्रदेशकी यात्रा करने जाते हैं वे खानेपीनेका सारा सामान अपने साथ ले जाते हैं। यह सामान वे एक प्रकारकी गाड़ियोंपर ले जाते हैं। ये गाड़ियां बर्फपर फिसलती हुई चलती हैं। संसारके अन्य देशोंकी अपेक्षा ग्रीनलैंड नामका टापू उत्तरी ध्रुवके अधिक पास है। वहींके कुत्ते इन गाड़ियों को खींचते या घसीटते हैं। भूमि छोड़नेपर कोई चार-पांच सौ मील बर्फपर ही चलना पड़ता है। बीचमें यदि कहीं पानी मिल जाता है तो बड़ी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। जबतक पानी जमकर कठोर बर्फके रूपमें नहीं हो जाता तबतक उसे पैदल पार करना असम्भव हो जाता है।