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महाप्रलय


अर्थात्—इसके बाद (प्रलयकालमें) चमकते हुए सात सूर्य नदियों और समुद्रों के सब जल को सोक लेंगे। सूखे और गीले सब तृण भस्म हो जायेंगे। इसके साथ ही संवर्तक नामक अग्नि वायु के साथ पृथ्वीपर आकर पाताल में प्रवेश कर जायगी। उससे देव, दानव और यक्ष बहुत डरेंगे। यही अग्नि नाग-लोक और पृथ्वीके सब पदार्थों को ध्वंस कर डालेगी।

ईसाइयों के धर्म-ग्रन्थ बाइबिलमें लिखा है—

"Moreover, the light of the moon shall be as the light of the sun, and the light of the sun shall be sevenfold as the light of the seven days in the day the Lord bindeth the breach of his people, and healeth the stroke of their wound."

Isaiah (Chapter 30, V. 26)

अर्थात्—प्रलयके दिन चन्द्रमा सूर्यकी तरह प्रकाशमान हो जायगा और सूर्य सात दिनके इकट्टे प्रकाश की तरह सतगुना प्रकाशमान होगा।

अन्तिम परिणाम के सम्बन्ध में पूर्व और पश्चिम के दो अतिप्राचीन ग्रन्थों का मेल बड़ा ही विस्मयकर है।

अब प्रश्न हो सकता है कि महाप्रलय के सम्बन्धमें प्राचीन ऋषियोंने जो भविष्यवाणी कही है वह क्या विज्ञान-सम्मत है? एक दल के लोग कहते हैं कि ऋषि लोग अभ्रान्त थे। इसलिए पृथ्वीका ध्वंसशास्त्र में लिखी हुई विधि के अनुसार ही होगा। ऐसे लोगोंकी युक्तिके विषयमें हम कुछ नहीं कहना चाहते। परन्तु जिस दलके लोग विज्ञान-