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लेखाञ्जलि

श्यामवासियोंकी पूजा तब भी लाठीहीसे की जाती थी। अफ़रीकासे तब भी मम्बो-जम्बो (गेंड़ेकी खालका हण्टर) अन्तर्हित न हुआ था। उस समय भी वयस्का भद्रमहिलाओंपर चाबुक चलता था। पचास-साठ वर्ष पहले, संसारमें, जिस दण्ड-शक्तिका निष्कघण्टक साम्राज्य था, यह न समझना कि अब उसका तिरोभाव हो गया है। प्राचीन कालकी तरह अब भी सर्वत्र हमारा प्रभाव जागरूक है। इशारेके तौरपर हम जर्मनीके हर प्रान्तमें वर्तमान अपनी अखण्ड सत्ताका स्मरण दिलाये देते हैं। परन्तु वर्तमान वृत्तान्त सुनाने की अपेक्षा पहले हम अपना पुराना वृत्तान्त सुना देना ही अच्छा समझते हैं।

प्राचीन कालमें रोम-राज्य योरपकी नाक समझा जाता था। दण्ड-दान या दण्ड-विधानमें रोमने कितनी उन्नति की थी, यह बात शायद सबलोग नहीं जानते। उस समय हम ३ भाई थे। रोमवाले साधारण दण्डके बदले कशा-दण्ड (हण्टर या कोड़े) का उपयोग करते थे। इसी कशा-दण्डके तारतम्यके अनुसार हमारे भिन्न-भिन्न तीन नाम थे। इनमेंसे सबसे बड़ेका नाम फ्लैगेलम (Flagellum) मंझलेका सेंटिका (Sentica), और छोटेका फेरूला (Ferala) था। रोमके न्यायालय और वहाँकी महिलाओंके कमरे हम इन्हीं तीनों भाइयोंसे सुसज्जित रहते थे। अपराधियोंपर न्यायाधीशोंकी असीम क्षमता और प्रभुता थी। अनेक बार प्रभु या प्रभु-पत्नियाँ, दयाके वशवर्ती होकर, हमारी सहायतासे अपने दासोंके दुःखमय जीवनका अन्त कर देती थीं। भोजके समय, आमन्त्रित लोगोंको