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लेखाञ्जलि

गये। दूर दूरसे लोग आटा पिसाने आने लगे। चक्कीके मालिकको खब मुनाफ़ा होने लगा। कुछ ही दिनोंमें वह अमीर हो गया। उसे इस तरह कामयाब हुआ देख और लोगोंने भी उसका अनुकरण किया। धीरे-धीरे एञ्जिनोंसे, और कुछ समय बाद, बिजलीसे ये चक्कियाँ चलने लगीं।

इसके बाद योरपसे जाकर अमेरिकामें बस जानेवालोंने हवासे काम लेनेकी युक्ति निकाली। उन्होंने पानी खींचने और ऊपर चढ़ानेके लिए एक ऐसी कल निकाली, जो हवासे चलती थी। इस कलसे खेत सींचनेमें बहुत सुभीता हुआ। इस तरहकी कलें अमेरिका में कहीं-कहीं अब भी देखनेको मिलती हैं। अब तो वहां ऐसे-ऐसे पम्प ईजाद हो गये हैं जिनसे काम लेनेके लिए एञ्जिन लगे हुए हैं और जिनसे सैकड़ों बीघे ज़मीनमें बोई हुई फ़सलें बात-की-बातमें सींच दी जाती हैं। इन्हीं एञ्जिनोंकी सहायतासे चलायी गयी अन्य कलें भी अनेक काम करती हैं। उनसे कुट्टी काटी जाती है, लकड़ी चीरी जाती है, अनाज कूटा जाता है और आटा भी पीसा जाता है। बस अकेले एक एञ्जिनसे ये सब काम हो जाते हैं। यह तरक्की वर्तमान कालकी है।

१८०० ईसवीके लगभल कुछ लोग घोड़ों और कुत्तोंसे भी काम लेने लगे। गन्नेका रस निकालने तथा और भी कुछ काम करनेके लिए उन्होंने ऐसी कलें निकालीं जो घोड़ों और कुत्तोंसे चलायी जाती थीं। अमेरिकाके दक्षिणी भागमें रहनेवाले हबशी अबतक, कहीं-कहीं, ऐसी कलोंसे काम लेते देखे जाते हैं।