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अमेरिकामें कृषि-कार्य

संयुक्त-देश, अमेरिका की भी ठीक वैसी ही किम्बहुना उससे भी बुरी, दशा थी। वर्जिनिया, इस समय, उस देशका एक प्रधान और विशेष समृद्ध प्रान्त गिना जाता है। परन्तु १६०७ ईसवी में कप्तान जान स्मिथ नामक एक आदमीने वहांके कृषकको नितान्त हीनावस्थामें देखा था। उस समय वहाँ एक मामूली हलसे ज़मीन जोती जाती थी। ज़मीन खोदनेके लिए, फावड़े के बजाय एक प्रकारकी लकड़ीसे काम लिया जाता था। ज्वार ओखली और मूसलसे उसी तरह कूटी जाती थी जिस तरह हमारे यहाँ अबतक कूटी जाती है। कुल्हाड़ीसे काटकर पेड़ गिराना लोगों को मालूम ही न था। वे उसके नीचे आग जलाकर उसे गिराते थे। खेतीका सारा काम हाथसे होता था।

अमेरिका नौ-आबाद देश है। भिन्न-भिन्न देशों की फालतू आबादी वहाँ जा बसी है। योरपके निवासी वहां जैसे-जैसे जाते और बढ़ते गये वैस-ही-वैसे उन्हें खेतीमें उन्नति करनेकी सूझती गयी। अपने जन्म-देशमें जिस तरह खेती होती थी उसी तरह उन्होंने वहां भी कृषि कार्य करनेका निश्चय किया। अमेरिकामें भूमिकी कमी तो थी ही नहीं। एक-एक कृषकको सौ-सौ-दो-दो सौ बीघे भूमि आसानीसे मिल जाती थी। इतनी भूमिमें पुराने ढङ्गसे, हाथोंहीकी बदौलत, खेती करना सम्भव भी न था। अतएव उन्हें कलें-मैशीनें ईजाद करने की सूझी।

पहले-पहल वहाँवालोंने पन चक्की का आविष्कार किया। उससे एक दिनमें सैकड़ों मन आटा पिसने लगा। देखकर लोग हैरतमें आ