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६७ . अर्थ कुछ ज्ञान नहीं, यह सब समझ जाते थे । उसने क्यों पहले से आफ्रित का ज्ञान प्राप्त नहीं कर लिया ? दस रुपए की नौकरी ? नहीं है । रूपया पेड़ में फलता है ? लाखों का माल किसी के पास होता है, तो वह लुटा देता है ? लोग दमड़ी की इंडो बजाकर लेते हैं। "सब जगह ठाकरें मिली । रामजी के विश्वास पर इधर जो शैथिल्य अा गया था. संसार का जितना तण इस मंद अंगार पर आ पड़ा था, संस्कार की तेज हवा से जलने लगा। तमाम आग राम के ही विश्वास में बदल गई। बार-बार हृदय में स्पंद-स्पंद पर ध्वनित हो चला-जिन पर इतने बड़े-बड़े महात्मा विश्वास करते आए, वह एक मिथ्या कल्पना मात्र है ? अाज तक जिसके सहारे का भरोसा किया, वह शून्य की तरह कुछ भी नहीं? रामकुमार का मस्तिष्क और हृदय जलने लगा । प्रयाग-स्टेशन श्रा, चित्रकूट के लिये टिकट कटाकर गाड़ी पर बैठ गया। "जब चित्रकूट उतरा, तब उसके पास कुछ न था। जो कुछ थोड़ा-सा सामान और रुपया पैसा था, मानिकपुर और का के बीच जब रात को गाड़ी पहाड़ी जंगल पार कर रही थी, दूसरों की आँख बचाकर फेक दिया । चित्रकूट पहुँच, चुल्लू से पयस्विनी का जल पीकर, एक यात्री की कृपा से नदी पार हो, हनुमद्धार में पहले रामभक्त महावीरजी के दर्शन करने गया। पहाड़ की सीढ़ियाँ तय कर बड़े भक्ति-भाव से हनुमान जी को .