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लिली 9 "अभी यह लड़के हैं, दुनियादारी का हाल तो कुछ मालूम है नहीं, इस्कूल में पढ़ते हैं, बस भड़क गए।" में बंकिम को असह्य हो गया । बोला-आप लोग मजाक करते हैं, उधर उसके मुँह में चुल्लू भर पानी छोड़ना भी रोक रक्खा है, वह मर रहा है, आप लोग दुनियादारी समझा रहे हैं।" "आपकी इच्छा हो, तो धड़ों पानी उसके मुँह में छोड़िए, पर रुपया भी आप देंगे, या सिके पानी छोड़ने के लिये आए हैं ?" कुछ गर्म पड़कर, कुछ मजाक के स्वर से दयाराम ने कहा। साथ ही गाँव के और और उनके भक्त लोग कह उठे- "मालिक की बात, रुपया कौन गाँठ खोलकर देता है ?" बंकिम भाग हो गया । इसी तरह गर्म होकर पूछा- "कितने रुपए हैं आपके ?" "साढ़े सात" हँसकर दयाराम बंकिम की ओर देखकर बोले-"देते हैं आप ?" हाँ, ये लीजिए।" आठ रुपए बंकिम ने तख्त पर रख दिए, कहा--"अब लिख दीजिए चुकता रसीद सुधुआ के नाम ।" गाँव के लोग एक दूसरे को खोद-खोदकर मुस्किराने लगे, जसका मतलब होता है-कैसा बेवकूफ है यह । एक बार दयासम को भी आश्चर्य हुआ। पर फिर उन्होंने रुपए बजाकर अठन्नी वापस कर दी, और एक चुकता रसीद लिख दी। "यहाँ ये बहुत से लोध है, इनसे कहिए, सुधुपा को इसके