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लिली को लेकर कल आइए, मैं अपने अभिभावक ने भी कह रकसँगा।" दूसरे दिन पं० रामचंद्र तथा रमाशंकर आए। कमला अनावृत-मुख मंद-पद सामने आकर खड़ी हो गई। रमाशंकर ने पिता से कहा-"यह तो पं० शिवरामजी की लड़की हैं." कमला ने कहा-'आपकी इच्छा होगी, तो ऐसी स्थिति में मैं विवाह करने को तैयार हूँ, क्योंकि आपको उठा लेना मेरा धर्म है।" "