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। कमला चकित हो गई। बड़ी देर तक सोचती रही । फिर राजकिशोर को अलग बुला, सम हाल समझाकर अस्पतालों में पता लगाने के लिये कहा । फिर युवतियों के भोजन पकाने का इंतजाम करने लगी। मौसा गाँव गई थीं। पंडित रामचंद्र और रमाशंकर अस्पतालों में मिले । दोनो के सिर पर चोटें थीं । रमाशंकर डेरे जाते समय घायल हुए थे। ४-५ दिन बाद अच्छे हो गए। राजकिशोर स्वयंसेवक को हैसियत से देख पाता था, पर अपना परिचय नहीं दिया। युवतियाँ कमला के यहाँ प्रसन्न रहती रही। उनका पूरा परिचय तो कमला ने प्राप्त कर लिया, पर अपना पूर्णतः छिपा रक्खा। पिता-पुत्रों के लिये ४-५ दिनों तक भोजन कमला घर से ही भेज देती थी। उन्हें हाल मिल चुका था कि उनकी बहू और कन्या सुरक्षित हैं। पाँचवें दिन अच्छे होकर वे कमला के घर भाए। साथ राजकिशोर भी था। रमाशंकर तथा उनके पिता से वह सब हाल जिस तरह उनको महिलाएँ एक मुसलमान के घर से निकाली गई थीं, राजकिशोर ने कहा वाजपेयीजी ने प्रत्युत्तर में उसका निवास- स्थल पूछा । राजकिशोर ने रायबरेली-जिले के धई मुक्काम के पास बतलाया। मकान श्रा, अपनी महिलाओं को लेकर बिदा होते हुए पंडित रामचंद्रजी बार-बार हाथ जोड़कर बालक राजकिशोर