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कमला ४१ दो साल और पार हो गए । कमला के स्वास्थ्य में पुनः भादों की बाढ़ है। भरी-पूरी परंतु समय की तमिस्र तिथि के भीतर, सधी हुई चाल से, ठीक अपने ही समुद्र की ओर बहती जा रही है। राजकिशोर के स्नेह की कमला महिलाओं में सर्वत्र चरित्र. बल, आदर्श-प्रीति के कारण सम्मान तथा प्यार की पात्री मान रही है । स्त्रियाँ उसे देवी के भाव से. मन-ही-मन अपना आदर्श मानकर, पूजती हैं। राजकिशोर अब सोलहवें साल का तरुण, प्रवेशिका परीक्षा का कुशाग्र बुद्धि विद्यार्थी है। सोलहवें साल में ही वह फूटकर जवान हो गया है। रोज कसरत करता, जोर करने के लिये अखाड़े जाया करता है। कमला का बाहरी लक्ष्य है भाई और भीतरी पति-धर्म । प्रातः स्नान करती है, कुछ देर रामायण-पाठ, फिर अपने कार्य में लगती है। रमाशंकर अब उसके लिये कोई बाहर का मनुष्य नहीं, वह अब उसकी मात्मा में अर्थमय बनकर इसलिये अब कामना-जन्य प्रेम का खिंचाव उसके चित्त को हिला नहीं सकता। वह अब सब समय अकाम तपस्या-सी जीवन के कूल पर खड़ी अपने ही रमा-रूप के शंकर-शुभंकर निस्सीम सुदर को तन्मय देख रही है। इसी समय कानपुर में हिंदू-मुसलमानों में दंगे की बुनियाद ।