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नम स्वर "हाँ, मौसीजी के साथ कुछ महीने हुए आई हूँ ।” कमला से "तुम्हारा विवाह तो हो गया है ?" माँग का सेंदुर देखती हुई वेदवती ने पूछा। "हाँ" कमला ने सरल चितवन नीची कर कहा। "तुम अपने पतिदेव के यहाँ कितने दिनों से नहीं गई?" "जब से विवाह हुआ ।” उसी सरलता से कमला ने "क्यों, क्या अभी तुम्हारा गौना नहीं हुआ ?" "न ।” कमला चुपचाप बैठी रही। सब तक कमला की मौसी भी भा गई, और पड़ोस की बसे प्रतिष्ठित घर की कन्या जानकर एक साँस में कमला के प्रति हुए पाशविक अत्याचार का वर्णन कर गई। सुनकर गुस्से से वेदवती का चेहरा लाल पड़ गया-"तुम लोग कमजोर हो । किस्मत को कोसती हो । मैं होती, तो चपत का जवाब दूने कस की चपत कसकर देती-उन्हीं की तरह अपना भी दूसरा विवाह साथ-साथ करती, ऊपर से न्योता भेजती कि आइए जनाबमन् , मेरे शौहर से मुलाकात कर जाइए । तुम्हीं लोगों ने अपने सिर स्त्रियों का अपमान उठा रक्खा है। कमला अपलक ताकती रही । वेदवती उठकर बाहर की ओर "अभी आती हूँ' कहकर चली गई । महिला की संपा-