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कमला । तानी थी। हृदय बैठ गया था। कमला को वह इतना प्यार कर चुका था कि अब विवाह की तरफ से बिलकुल वीतराग हो रहा था । मन उड़ा फिरता था। हृदय में जगह न थी, था दर्द, जहाँ उसे केवल कष्ट मिलता था ! गाँव में कोई और उसका साथी भी न था, सिर्फ बगीचे थे डिप्टी कलक्टर के छोटे भाई वर की तलाश में आए थे। जड़ का बहुत पसंद आया। विवाह पक्का कर गए। रमाशंकर ने पिता की आज्ञा स्वीकार कर ली। एक रात की बात है। रमाशंकर सो रहा था। स्वप्न में देखा, कमला बग़ल में खड़ी है, आँखों से आँसू जारी हैं। उठकर बैठ गया। वह मूर्ति उसकी दृष्टि में लीन हो. गाई। (७) कमला की मौसी खबर पाकर आई, उसे अपने पास कानपुर ले गई । कुल क्रिया हो चुकी थी। राजकिशोर उन्नाव से सार्टीफिकट लेकर कानपुर में भर्ती हो गया। दिन, सप्ताह, मास, क्रम-क्रम से, जीवन की पूर्ति के रूप से, एकमात्र भाई के स्नेह में, बोतने लगे। कमला का चित्त भी पूर्व-स्थिति के विस्तार को संकुचित करता हुआ अपनी ही हद में आ गया ! दुःख का वह रूप नैराश्य के तम में लीन हो अब केवल मुप्ति की तरह जीवन की शांति में प्रवर्तित हो गया है। अब उसे कोई इच्छा नहीं, उसके प्राणों में कोई रंग