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लिली गर्मी की छुट्टी हुई । कमला का भाई राजकिशोर घर आया। पालक घर की दशा देखकर बहुत घबराया ! गाँव के लोग नसे साथ ले वाजपेयीजी के यहाँ चलने लगे। कमला ने रोक दिया। माता को सोचते सोचते और मात करते करते कमजोरी से बुखार आ गया । क्रमशः कफ से फेफड़े जकड़ गए, हालत चिंताजनक हो गई। एक दिन बालक राजकिशोर ने गाँव में चर्चा सुनी, और नदास होकर माता के पास जाकर कहा-"अम्मा, वाजपेयी जीजा का दूसरा विवाह हो रहा है। रामअधीन चाचा भाज बातचीत करते थे। कोई डिप्टी-कलटर फतेहपुर के हैं, उनकी । लड़की के साथ कमला खड़ी थी। माता ने सुना, आँखों में आँसुओं की धारा बँध गई। बोलने की रही-सही क्षीण शक्ति भी जाती रही । उसी सजल दृष्टि से कमला को पड़ी हुई देखती रही। कमला भी इस प्रीष्म में मरु-निझरी-सी अल्प जल हो रही है ! माता की दशा देखकर, सिरहाने बैठकर सिर पर हाथ फेरने लगी, बरबस आँखों से आँसू टपकने लगे। यह कष्ट माता न सहा गया, उसी रात उनका देहांत हो गया। गाँव के अपर लोगों की मदद से लाश गंगा पहुँचाई गई। राजकिशोर ने दाह किया। . विवाह के लिये रमाशंकर की इच्छा न थी। उसकी चोट