यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

और क्रोध था, जिसका अर्थ था कि स्त्री-जाति कैसी छल से भरी होती है! प्यार रमाशंकर को बहुत दूर ले गया था। अब हृदय के टुकड़े-टुकड़े हुए जा रहे थे, पर प्रमाण की उसे जरूरत न थी। प्यार प्रमाण नहीं चाहता। रमाशंकर मकान गया, चुपचाप अपना बओटा संदूक उठा- कर चल दिया। उसकी सास उस समय कार्य से बाहर थी। कमला खड़ी थी। भोली दृष्टि से देखती रही। रमाशंकर सिर झुकाए हुए चला गया। उसे ढाढ़ विना बिदा कराए रमाशंकर का चला जाना सखियों तथा गाँव के लोगों में कमला तथा उसकी माता का बहुत बड़ा अपमान हुअा। सखियाँ कमला के आँसू पोछती, देती र्थी । कुछ दिनों में उसके भैयाचारों की स्त्रियों से उन्हें हाल मालूम हो गया, और उसकी माता भी समाचार पा गई। कमला कारण सुनकर सूख गई। यह बात बिलकुल भूठ थी। का में वह अपनी मौसी के यहाँ थी, उसी समय एक रात वहाँ चोरी हुई थी, जिसका अर्थ भैयाचारों ने अपनी तरफ से इतना बढ़ा लिया था और विवाह हो जाने के बाद यह जौहर खोलने का इरादा किए बैठे थे। कमला को साता की दशा थोड़े ही दिनों में शोचनीय हो गई । कमला भी हवा में डोलने सी लगी। 1