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कमला कमला सोलहवें साल की अधखुली धुली कलिका है। हृदय का रस अमृत स्नेह से भरा हुआ, खिली नावों-सी आँखें चपल लहरों पर अदृश्य प्रिय की ओर परा और अपरा की तरह बही जा रही हैं। गत वर्ष कमला का पाणि-ग्रहण-संस्कार हो चुका है। पर मकान की प्रथा के अनुसार बारात के साथ वह बिदा नहीं हुई। अभी पति केवल ध्यान का विषय है, ज्ञान का नहीं। अभी सिर्फ सुनती, सोचती और मन-ही-मन प्यार करती है। कमला के पति पंडित रमाशंकर वाजपेयी आज दोपहर के समय भाए हुए हैं। टेढ़ा के रहनेवाले, भाई के जनेऊ में कुछ दिनों के लिये बिदा करा ले जायेंगे। पिता ने भेजा है। पंडित रमाशंकर के आने की खबर गाँव-भर की युवतियों में तेजी से फैल गई। कमला की सहेलियाँ उसके घर महफिल जमाने के विचार से चलीं । माता बहाने से दूसरे के घर चली गई । हँसी-मजाक, दिल्लगी गूंजने लगी । वाजपेयीजी जनान- खाने में ही आराम कर रहे हैं । दिन का पिछला पहर, तीन का समय है। सखियाँ पान लगाकर देती, वुझौवल-कहानियों के 5