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पद्मा और लिली
(६)

राजेंद्र को देखकर रामेश्वरजो सूख गए । टालने को कोई बात न सूझी। कहा- -“वेटा, पद्मा को बुखार आ गया है, चलो, देखो, तब तक मैं जज साहब से कुछ बातें करता हूँ।"

राजेंद्र उठ गया। पद्मा के कमरे में एक नौकर सिर पर आइस -बैग रक्खे खड़ा था। राजेंद्र को देखकर एक कुर्सी उसने पलँग के नजदीक रख दी।

"पद्मा"

"राजेन!"

पद्मा की आँखों से टप-टप गर्म आँसू गिरने लगे। पद्मा को एकटक प्रश्न की दृष्टि से देखते हुए राजेंद्र ने रूमाल से उसके आँसू पोंछ दिए।

सिर पर हाथ रक्खा, सिर जल रहा था। पूछा-सिर- दर्द है ?"

"हाँ, जैसे कोई कलेजा मसल रहा हो।"

दुलाई के भीतर से छाती पर हाथ रक्खा, बड़े जोर से धड़क रही थी।

पद्मा ने पलके मूद लीं, नौकर ने फिर सिर पर आइस-बैग रख दिया।

सिरहाने थरमामीटर रक्खा था । झाड़कर, बॉडी के बदन खोल राजेंद्र ने आहिस्ते से बग़ल में लगा दिया। उसका हाथ बगल से सटाकर पकड़े रहा। नजर कमरे की घड़ी की तरफ थी।