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परिवर्तन धूप- । परी सात साल की थी, और सूरज दस साल का। दोनो छाँह से हिले मिले रहते थे। परी की आदत थी आज्ञा करने की--"वह फूल तोड़ दो, वह फल चढ़कर गिरा दो।" सुरज की आदत थी उसी समय उसे पूरा करने की । एक दिन, नजरबारावाले तालाब में कमल खिले थे, एक बड़ा-सा अधखिला उन्हीं के बीच में था, परी ने कहा-वह बीचवाला लाल लाल बड़ा-सा कमल ला दो सूरज़!"सूरज कूद पड़ा। तैरता, नालों को चीरता हुआ कमल को तोड़ तो लिया, पर लेकर निकल न सका। पैर मृणालों में फंस गए। परी को देने को स्नेह-फूल हाथ से न छोडा, पैरों को पटक-पटककर नालों की उलझन छुड़ाता रहा । तट पर खड़ी लालसा की दृष्टि से फूल को देख-देखकर साग्रह हाथ फैलाती हुई परी हँस रही थी। थककर कमल लिए हुए सूरज एकाएक डूब गया। परी दौड़ती हुई कोठे पर मा के पास गई, और हाँफती हुई बोली, सूरज मेरे लिये फूल तोड़ने को तालाब में तैरा था, डूब गया है। खबर फैली, खोग दौड़ पड़े, सूरज को निकाल लिया। उसकी