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प्रेमिका-परिचय i ५, हिवेट रोड वक्त पर चिट्ठीरसा फिर चिट्ठी लेकर पहुँचा । प्रेमकुमार मन-ही-मन शांति को शास्ति देने की दृढ़ प्रतिज्ञा कर रहे थे, उसी समय उसने एक चिट्ठी इन्हें दी । लेकर पढ़ने लगे। लिखा है- मूर्खाधिराज, तुम्हें गोमती में भी चुल्लू भर पानी नहीं मिला ? } तुम्हारी लखनऊ शांति पढ़कर प्रेमकुमार के छके छूट गए। कुछ देर बाद शंकर भी आया । पत्र वैसा ही खुला मेज पर पड़ा था, पढ़ लिया। फिर हँसी को पीकर बोला---'यार, यह तो अच्छा मजाक किसी ने किया। अब ५ हिवेट रोड पर चलकर देखो तो, कौन रहता है।" हिवेट रोड पर इन्हीं की नई ब्याह कर आई हुई साली अपने अकेले पति के साथ रहती है, जो इन्हीं के कॉलेज में पहले इन्हीं के साथ रहकर अब रिसर्च स्कॉलर है। इन्हें देखकर क्षमा हँसने लगी। कहा-"आप बड़े बेवकूफ हैं, शांति तो दीदी का ही राशि का नाम है।"