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प्रेमिका-परिचय मेरा क्या कसूर था? अगर तुम पहले शो में आए, तो गलती की । मला, पहले शो में भी कहीं दिल मिलानेवाले मिल सकते हैं ? जब तक सिनेमा होता. हम लोग गोमती के किनारे बात- चीत करते; फिर सिनेमा खत्म होने पर मैं घर चली जाती है पहले शो में यह मौका शहर की भीड़ में कहाँ मिलता है ? अगर पहले शो में तुम गए, तो जरूर चुडैलों को देखकर मेरा अंदाजा लगाया होगा, इस तरह तुमने मेरा कितना अपमान किया ! अब कल का वादा पूरा होना ही चाहिए । कल गोमती के किनारे, छोटेलाल के पुल पर छत्री में बहना । मैं नहाने जाऊँगी । तब तुम मुझे दिन को देखकर फिर रात को न भूल सकोगे। फिर हम लोग किसी दिन कहीं मिल जायेंगे ! कल जरूर-जरूर तुम्हें तुम्हारी शांति मिलेगी। ठीक आठ बजे दिन को मैं जनाने घाट पर हूँगी । ५, हिवेद रोड लखनऊ तुम्हारी कब से खोई हुई शांति रात एक पढ़कर शंकर की तबियत फड़क उठी। कहा -“ब क्या, अब तो कल जरूर किस्मत जायगी एक-न-एक ऐसा अडंगा लग जाता है कि बना-बनाया काम बिगड़ जाता है :" सहज प्रसन्न स्वर से प्रेमकुमार बोले । पहले की अड़चन अच्छी होती है । पीछे की सफलता तब बड़ी, स्वाददार जान पड़ती है। प्रेम के लिये तो यह खास