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अर्थ तीन उपन्यास लिखे । चार ही साल में यह उपन्यास-साहित्य की चोटी पर पहुँच गया । कई हजार रुपए उसने एकत्र कर लिए । सारा ऋण चुका दिया और अन विद्या के साथ सुख- पूर्वक रहता है। रामकुमार का कहना है कि ईश्वर ही अर्थ है, वह जिस भक्त पर कृपा करते हैं, उसमें सूक्ष्म अर्थ बनकर रहते हैं, जिससे वह स्थूल. अर्थ पैदा करता रहता है।" हीरालाल ने कहा-"संसार के व्यवसाय में भी सूक्ष्म अर्थ ही स्थूल अर्थ पैदा होने का कारण है।" फिर दिनेश की ओर देखकर पूछा--"अच्छा, तोते की जगह भापको विश्वास होता है ?" "मुझे कुल आत्मकथा पर विश्वास है।" दिनेश ने उत्तर दिया। "तो रामकुमार की तरह आपको भी हिंदू-धर्म के गपोड़ों पर विश्वास करने की आदत है।" "नहीं, इसलिये नहीं, बल्कि रामकुमार-" छूटते ही हीरालाल ने पूछा- रामकुमार श्राप ही हैं " नहीं, रामकुमार को वस्त्र देनेवाला उसका मित्र"