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। नूरजहाँका कौशल "क्या जहाँपनाह को हुक्म-उदूली करेगा " "इससे भी ज्यादा कर सकता है। वह बगावत भी कर बैठे, तो कोई ताज्जुब नहीं। "मैं चाहती हूं कि उसे बंगाल की सूबेदारी से हटाकर पंजाब का सूबेदार बनाकर भेज दूं। मगर लाहौर उसकी सातहती में न रहे। "ऐसो बेइज्जती वह नहीं बर्दाश्त कर सकेगा !" "वह सल्तनत का नौकर है, अगर नमकहरामी करेगा, तो सजा दी जायगी "वह महज नौकर ही नहीं है, सिपहसालार है, मारी कोज उसके हाथ में हैं, फौज उसे प्यार भी करती है। इसके सिवा उसने हमेशा सल्तनत की खिदमत बहादुरी और दयानतदारी से की है।" "जहाँपनाह का यही हाल रहा, तो यह सल्तनत आँधी में उखड़े हुए दरख्त की तरह धूल में मिल जायगी। मैं उसे पंजाब में अपने सामने रक्खूगी, उसकी ताकत को कभी न बढ़ने दूंगी "जो जी में आवे, सो करो। नूरजहाँ, तुम्हारे कहने से मैंने उसे सिपहसालार के पद से हटाकर उसी के शागिर्द परवेज की मातहत्ती में बगाल का सूबेदार बनाया, अब तुम्हें यह भी नहीं पसंद है। प्रिये, सल्तनत में क्यों आग लगाती हो, सब काम ठीक-ठीक तो हो रहा है।" "तब जहाँपनाह, अपनी सल्तनत को सँभाल लें, अगर मुम पर भरोसा नहीं "नहीं प्रिये, मेरी सल्तनत है शराब और स्वर-लहरी, लाओ, 1