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चतुरसेन की कहानियाँ दृष्टि पाए बिना सल्तनत में अपनी प्रतिष्ठा कायम नहीं रख सकता था। बादशाह के पुत्र भी इसका अपवाद न थे। इस कारण मुगल राजधानी षड्यन्त्रों का एक गर्मागर्म केन्द्र बन गई थीं। ये षड़यन्त्र बादशाह के भी विरुद्ध होते थे और बेगम नूरजहाँ के भी विरुद्ध। अफवाह गर्म थी कि फतहपुर सीकरी इन षड्यन्त्रकारियों का एक जबरदस्त अड्डा बना हुआ है। उस अड्डे को भंग करके साम्राज्य में असन और व्यवस्था कायम करने के लिए बाद- शाह ने अपने अनेक कर्मचारियों को भेजा परन्तु उन्हें कुछ भी सफलता नहीं मिली। आगर में इस बात का बड़ा आतंक फैला हुआ था कि आए दिन एक न एक राज कर्मचारी किसी असाधारण गुप्त रोति से पकड़ कर गायब कर दिया जाता है और कुछ दिन बाद उसकी लाश आगरे की शहर पनाह के फाटक पर मिलता है, और इश्तहार में उसके जुर्म लिख कर टांग दिये जाते हैं। यह भी बड़े जोरों से अफवाह थी कि ऐसी आज्ञाएँ फतेह- पुर सीकरी से एक जबरदस्त गुप्त संगठन से प्रचारित होती हैं। और वह संगठन जिसे प्राणदण्ड देता है उसकी रक्षा न बेगम नूरजहाँ कर सकती है और न सम्राट् जहाँगीर। इस आतंक का अन्त करने स्वयं बादशाह लाहौर के दौलतखाने से आगरे तशरीफ लाए थे। और अपने प्रमुख दरबारियों और राज कर्मचारियों की असफलता से खींझकर इस बार उन्होंने खुद शाहजादा खुर्रम को एक अच्छी सेना देकर फतहपुर सीकरी एक भेजा था।