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[सत्रहवां
लवङ्गलता।


कमरे में कैद किया! फिर उस शरीर औरत के चकमे में फंसकर आपने अपने बीस नमकहलाल मुसाहबो के सर कलम करा डाले !!! इसीसे तो कहती हूं कि आपकी कोई भी कार्रवाई मुझसे छिपी नहीं है, लेकिन इससे आप यह न समझिएगा कि मैं आपको दिल से नहीं चाहती, या आप पर रज हूं! मै तो हुजूर, आपकी लौंडी बनकर भी आपके साये-तले रहने मे अपनी खुशकिस्मती समझती हूं!"

लुत्फ़उन्निसा की ये बाते सुनकर सिराजुद्दौला के छक्के छूट गए और उसने घबराकर पूछा,—"मगर, प्यारी! क्या यह भी तुम बतला सकती हो कि तुम्हें ये सब पोशीदे हालात क्योंकर मालूम हुए?"

लुत्फ॰,—"बेशक बतला दूंगी, मगर अभी हुजूर मुझे मुआफ करें, और अगर हुजूर चाहें तो मैं उन नमकहरामो के नाम भी हुजूर को बतला सकती हूं, जिहें हुजूर अपना खैरखाह समझे हुए हैं!"

सिराजु॰,—"हां, हां, इसका हाल तुम ज़रूर सुनाओ!"

लुत्फ॰,—"इसके पेश्तर, कि मैं आपके दरवारियो में से हर एक के हाल से आपको आगाह करू, मीरजाफ़रखां के बारे में कुछ कहना मुनासिब समझती हूं, जिसके ऊपर कि आपको पूरा भरोसा है! मगर नहीं; वह आपका जानी दुश्मन है और उसने भीतर ही भीतर सौदागरों से मिलकर आपको इस ढर्रे पर चलाया है कि जिससे आपके सच्चे खैरखाह आपसे फिर गए और सौदागरो से जा मिले हैं! अगर कहनेवाले ने मेरे साथ दगा न की हो और सञ्चा हाल मुझसे बयान किया हो, तो मैं इस बात को खोलकर कह देना मुनासिब समझती हूं कि दग़ावाज़ मीरजाफ़र सूबे बगाल के तख्त का खाहां हुआ है और वह आपको विलायती सौदागरो से लड़ाकर, आपकी और आपके बुजुर्गों की पैदा की हुई सल्तनत को ख़ाक मे मिलाया चाहता है!"

लुत्फ़उन्निसा की इस नेक सलाह को सुनकर अपरिणागदशी, अभिमानी सिराजुद्दौला खिलखिलाकर हंस पड़ा और कहने लगा,

"लाहोलबलाकूवत! ् लुत्फउन्निसा! तुम ख्वाब की बातें कर रही हो क्या! मैं तो समझता हूँ कि आज तुमने शराय ज़ियादह पी ली है, घर न ऐसी बहकी बहकी बातें तुम नफरती! मैं