बच जाय
पाठक, इन बातो को फिर खुलासे तौर से लयग ने इस ढग से सिराजुद्दौला को समझाया कि वह मारे क्रोध के भमक उठा और उसी समय जहाद को बुलाकर उसने उस फेहरिस्त को देकर, जो उसे लवंग ने दी थी, हुक्म दिया कि,—"अभी उन सब कम्बख़्तो को कत्ल कर डाले और नज़ीर का सर लवंगलता के सामने ले आवे!"
यह आज्ञा पाते ही जल्लाद चला गया और सिराजुद्दौला ने मीठी मीठी बातो से लवगलता को बहुत ढाढस दिया और कहा कि,- "अब तू अपने जी से रज को दूर कर, क्यों कि तुझपर जो मेरी मुहब्बत है, उसमे ता कयामत कमी कमी न होगी!
एक घटे के अदर जल्लाद ने आकर उन बीसो गुनहगारो के मारे जाने का समाचार नव्वाब को सुनाया और नजीर का सिर लवगलता के सामने रख दिया, जिसपर उसने थूका और उसे उठा लेजाने का इशारा किया। इशारा पाते ही जल्लाद उस सिर को उठा कर वहांसे चला गया।
फिर लक्गलता ने कहा, नव्वाबमाहव एक चिल्लेतक मेरे साथ आपका निकाह नही होगा। बाद इसके,आपका जो जो चाहे, कीजिएगा, मगर तब तक आप फ़क़त शब का मुझसे रोज़ मिला करेगे । मे एक चिल्ल तक सिर्फ दृध पीकर अपना गुजारा करूगी और मेरी स्विदमत के लिये आपको तब तक के वास्ते एक हिन्दू लौड़ो का बदोवस्त कर देना होगा।
इल पर पहिले ता मिराजुद्दौला ने उसे बहुत कुछ समझाया, पर जब वह किलो दरह न मानी तो उसने उसके ख़ातिरखाह सारा प्रबन्ध कर दिया और तुरन्त कई हिन्दू-लौडिया लबगलता की सेवा के लिये आ उपस्थित हुई।
फिर वहासे उठकर सिराजुद्दौला दरवार मे चला गया और लवंगलता ने अपने मामूली कामो से छुट्टी पाकर अपनी निगाह के सामने का बुहा हुआ केवल गौ का दूध पीया।
पाठको को समझना चाहिए कि,—" शठे शाट्य समाचरेत् इस नीति के अनुसार लवगलना ने सिराजुद्दौला से जो कुछ कहा था, वह मरासर झूठ ही कहा था, और इस प्रकार उसने अपने