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श्रीहरिः


लवङ्गलता

वा

आदर्शवाला.


उपन्यस



पहिला परिच्छेद,

कुटिल-चक्र.

"मृगमीनसज्जनानां तृणजलसन्तोषविहितवृत्तीनाम्।
लुब्धकधीवरपिशुना निष्कारणवैरिणो जगति॥"

(भर्तृहरिः)

शाहजहां बादशाह जब दिल्ली के तख़्त पर था, तब उसका बेटा शाह शुजा (सन् १६४९ ई॰ के लगभग) बंगाले का सूबेदार होकर दिल्ली से बंगाले में आया था। उस समय अग्रवाल कुलभूषण सेठ अमीचंद के पुरखा भी उसके साथ दिल्ली से चले आए थे और जैसे जैसे मुसलमानी राजधानी बंगाले में अपना स्थान बदलती गई, ये लोग भी अपने स्थान का परिवर्तन करते गए। राजमहल और मुर्शिदाबाद में अबतक इनके पुरखाओं के ऊंचे महलों के चिन्ह पाए जाते हैं। इसी श्रेष्ठी बंश के सेठ बालकृष्ण के पौत्र तथा सेठ गिरधारीलाल सेठ अमीचंद हुए, जिनके समय में इस देश में अंगरेजों के राज्य की नीव पड़ी।