पृष्ठ:लखनऊ की कब्र (भाग २).djvu/७९

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  • शाहीमहलसरा कर चुप होगया और देर तक मैने कोई जवाब न दिया। यह देख कर उसने कहा,

परएक सास और कह कर मैं अपनी यात पुरी करूंगी और वह यह है कि अगर तुम्हारी दिलाराम कमी मिल जाय तो तुम शौकले उसे अपने घर रख लेना उस हालत में मैं जैसी खिदमत में तुम्हारी करती रहूंगी बैली हिलाराम की भी करूंगी, यानी तुम नोंकी लौंडी होकर मैं रहूंगी ! घल, अब मुझे कुछ नहीं कहना है, जिन इला शुनना जरूर है कि तुम अब क्या कहतेहो। मैंने कहा, यो जौहरी, सदा जानता है कि तुम्हारी बायोसे में निहायत खुश हुआ और ज़ियादहतर खुशो मुझे इस बात से हुई कि तुम दिलाराम से लौनियाडाह नहीं रखती,लेकिन कोई पशोपेण की बात है तो यह है कि मेरी हालत बहुतही खराब है और मुझे एक शुत से अपने घर की कुछ भी खबर नहीं है कि यह किस्म इस पर उसने कहा,---* उसका हाल अगर दिल चाहे तो मुझसे सुनो। मैंने कहा- यह तो बड़ी खुशी की बात होगी, अगर इसका हाल तुम्हारी जवानी मैं सुनूगा ।" वह बोली, लेकिन वह हाल सुनने पर वह खुशी अफसोस के साथ बदल जायगी।" मैं, चाहे कुछ भी हो, लेकिन जानती हो तो उसका हाल तुम जरूर सुनाओ।" वह,- मैंने साल इमारत के अन्दर से तुम्हारे गायब होने पर मलका के हुक्म बजिब तुम्हारा जब पता लगाया तो मुझे मालूम मा कि तुम्हारे मकान का अवशान भी बाकी नहीं बह गया है सौर उसकी जगहपर एक खुशनुमा मसजिद बनी हुई है। बस,सिर इसीवातके जाहिर करने के लिये मैं इस वक्त तखलियेमें आई थी,जैसा कि मैं ऊपर वह आई हूं कि मैं इसवक्त तुमसे बित्ती खाल सबब से