पृष्ठ:लखनउ की कब्र - किशोरीलाल गोस्वामी.pdf/५२

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.' इसके बाद उस चोरदरवाजे के बाहर कुछ हिट मालूम हुई जिसे जानकर उस परीजमाल में किसी हिकमत से वहाँ पर रौशन चिराग को बुझा दिया और अंधेरे के दर्या में वह कमरा डूब गया। फिर मुझे नहीं मालूम कि क्या हुआ । क्योंकि मेरे हाथों को किसी मज़बूत हाथों ने पकड़ा और किसी ने जबरदस्ती मेरी नाक में बेहोशी की दो टू स दी और मैं बेहोश होगया। कितनी देरतक मैं बेहोश था, इसकी मुझे कुछ भी ख़बर ने रही, पर जब मैं होश में आया तो अपने तई एक बहुत ही तंग कोठरी में एक चारपाई पर पड़े हुए पाया, जिसमें एक ही दरवाज़ा था। और ताक पर एक धुंधला चिराग जल रहा था। मैंने अाँखें मलकर इन सब बातों को जब अच्छी तरह से देखा तो क्या नज़र गया कि . वह शैतान की खाली आसमानी बुढिया वजा रोके हुई मेरे स मने खड़ो हैं ! यह देखते ही मुझे फिर ऐश आ गया और मैं खैहोश होगया । क्योंकि मैंने आसमानी को देखकर अपने दिल में यही तसौ किया था कि मैं मर गया और मर कर अपने गुनाहों की सजा पाने के लिये उसी दोजख में पटक गया हूं, जहाँ पर गुनहगार समान भी लाई गई है। == == - =- =- = - t = ' =