अभिभाषण ७६ जबतक रकमे न वसूल कर सकेगे। किसानोके सम्बन्धमे इस घोपणामे केवल इतना ही कहा गया है कि पार्टी उचित लगान नियत कराने और जोतको स्थायी वनानेका उद्योग करेगी। इसके शब्द जान-बूझकर अस्पष्ट रखे गये है । मन्त्रीजीने एक जगह अपनी यह राय जाहिर की है कि पट्टेकी मीयाद कुछ वढाई जा सकती है। क्या पार्टी साफ-साफ नहीं कह सकती थी कि वह किसानोको कब्जेदारीका हक दिलानेकी कोशिश करेगी? घोपणाका यह अश केवल उस आक्षेपका उत्तर देनेके लिए रखा गया है जो पार्टीके विरुद्ध प्राय किया जाता है कि यह वडे-बडे जमीदारोकी पार्टी है । पार्टी शब्दाडम्बरसे काम लेना चाहती है, किन्तु हम उसको यह बतलाना चाहते है कि शब्दोसे कोई धोखेमे नही आ सकता। पार्टीमे कोई अनुशासन भी नही है और हो भी कैसे सकता है जब कि उसके सदस्य किसी सिद्धान्तके अधीन नही है । इसमे तनिक भी सन्देह नही कि यह पार्टी गवर्नमेण्टहाउस पार्टी है, यही उसका वास्तविक रूप है। असली रूपको छिपानेकी चाहे जितनी कोशिश क्यो न की जाय वह छिप नही सकता । अकवरका यह मिसरा पार्टीपर खूब चस्पा होता है-"उन्हीके मतलवकी कह रहा हू, जवान मेरी है वात उनकी । उन्हीकी महफिल संवारता हूँ, चिराग मेरा है रात उनकी ।" पार्टीका दावा है कि वह हिन्दू-मुसलिम झगडोसे पाकसाफ है । साम्प्रदायिकतासे काम चलता रहा तबतक इसके प्रमुख हिन्दू सभा और मुसलिम कान्फरेसके सर्वेसर्वा थे। अव जव आर्थिक प्रश्न जनताके सम्मुख पाने लगे है और वर्ग-चेतना बढती जाती है, जमीदार वर्गको अपने वर्गके स्वार्थोके आधारपर अपना संगठन करना पडता है । अव भी पार्टीके कई सदस्य चुनावकी दृष्टिसे साम्प्रदायिक सस्थानोसे अपना सम्बन्ध वनाये रखना लाभदायक समझते है । संयुक्तप्रान्तकी हिन्दू सभा तो हिन्दू मन्त्रियोके हाथकी कठपुतली हो रही है। हिन्दू-हितोकी दुहाई देकर अपने लिए प्रधान मन्त्रित्वके पानेकी यह चेप्टा मात्र है। जिस हिन्दू-सभामे मन्त्रियोके एजेट और गवर्नमेण्ट 'ह्विप' की तूती बोलती हो उसका आदर हिन्दू समाजमे कैसे हो सकता है ? जो सज्जन मालवीयजीके विरद्ध अविश्वासका प्रस्ताव लानेकी धृष्टता दिखा सकते है वे किस मुंहसे हिन्दू हितोके कर्णधार वननेका दावा पेश करते है ? वह वताये कि उन्होने अवतक हिन्दू-हितोकी रक्षाके लिए क्या किया है ? और आज क्या कर रहे है ? क्या एक हिन्दूके प्रधान मन्त्री वन जानेसे ही हिन्दू-हित साधित हो जाते है ? जनताको किसीके शाब्दिक मायाजालमे न फंसना चाहिये । आजकल हर जगह जनताको गुमराह करनेका प्रयत्न किया जा रहा है । जनताको इससे सावधान होनेकी जरूरत है। वास्तविकता यह है कि प्रान्तीय हिन्दू-सभा और नेशनल ऐग्रिकलचरिस्ट पार्टी प्रतित्रियाके गढ है । इन सस्थानोके पीछे न त्याग है और न सेवाका भाव; केवल चुनावमे सफलता प्राप्त करने के लिए ही यह सारा खेल रचा जा रहा है। केवल भारतमे ही नही वरञ्च सारे ससारमे उन्नति और प्रतिक्रियाके वीच आज
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