४६ राष्ट्रीयता और समाजवाद प्रचलित है, लगान-वन्दीका आन्दोलन शुरू होना चाहिये और बङ्गाल, विहार, उड़ीराामें चौकीदारी टैक्सका देना बन्द कर देना चाहिये । १५ मई सन् १९३०को शोलापुरमें मार्शल ला जारी किया गया । सीमाप्रान्तकी काग्रेस-कमेटियां गैरकानूनी करार दी गयी। ३० मईको वायसरायने दो और आर्डिनेन्स जारी किये । ये पारिनेन्म शान्तिमय पिकेटिङ्ग, सरकारी अफसरोके सामाजिक बहिष्कार तथा करवन्दी आन्दोलनको रोकनेके लिए जारी किये गये थे। दिल्ली और लखनऊमे गोली चली। स्त्रियो और वन्चोने भी आन्दोलनमे भाग लेना शुरू किया। गिरफ्तारी, तलागी, जन्ती और लाठीप्रहार आम बात हो गयी। पुलिसके इन अमानुपिक अत्याचारोके विरोधमे कीसिलके नरमदलके अनेक सदस्योने भी इस्तीफा दे दिया । वर्किङ्ग कमेटीने जूनमें ब्रिटिश मालके वहिप्कारका आदेश किया । विदेशी वस्त्रके वहिष्कारमे काग्रेसको बहुत सफलता मिली। गुजरातमे लगान-वन्दीका ग्रान्दोलन शुरू हो गया और विहारमे चौकीदारी टैक्सके विरद्ध सत्याग्रह शुरू हुआ । मध्यप्रान्त, वरार, कर्नाटक और महाराष्ट्रमे जगह-जगह जंगलका कानून भी तोडा गया। २४ जूनको साइमन कमीशनकी सिफारिशे प्रकाशित हुई । इनसे किसी दलको भी सन्तोप न हुआ । सितम्बरमे साइमन कमीशनकी रिपोर्ट के सम्बन्धमें भारतीय सरकारका खरीता प्रकाशित हुया । भारतीय सरकारको सिफारिशे साइमन कमीशनकी सिफारिशोकी अपेक्षा अधिक उदार थी, पर इनको भी कोई दल स्वीकार करनेको तैयार न था। अगस्तमे दिल्लीके चीफ कमिश्नरने काग्रेसकी वर्किङ्ग कमेटीको नायायज करार दिया और डाक्टर अनसारी, पं० मदनमोहन मालवीय, श्री विठ्ठलभाई पटेल, तथा वकिङ्ग कमेटीके अन्य सदस्य, जो दिल्लीकी बैठकमे सम्मिलित होने पाये थे, गिरप्तार कर लिये गये । मद्रास, बम्बई, विहार, और पञ्जावकी सरकारोने भी वर्किङ्ग कमेटीको नाजायज करार दे दिया। सितम्बरमे पञ्जाव और दिल्लीकी सव कांग्रेस कमेटियाँ नाजायज करार दी गयी । ऐसेम्बली और कौसिल पाव स्टेटके कुछ सदस्योने १४ जुलाईको श्री जयकरको सरकार और काग्रेसके बीच समझौता करानेके प्रयत्न करनेका अधिकार दिया। वायसरायकी अनुमतिसे सर सप्रू और श्री जयकर महात्माजी, प० मोतीलाल जी और प० जवाहरलालजीसे मिले, पर कोई समझौता न हो सका । १० अक्तूबरको वायसरायने एक आर्डिनेन्स जारी कर प्रान्तीय सरकारोको गैरकानूनी सस्थायोकी चल सम्पत्तिको जब्त करने तथा अचल सम्पत्तिपर कब्जा करनेका अधिकार दिया। जगह- जगह काग्रेस-कमेटियाँ नाजायज करार दी जाने लगी और सरकार काग्रेस-शिविरोपर कब्जा करने लगी। १२ नवम्बरको महाराज जार्ज पञ्चमने गोलमेज परिपदका उद्घाटन किया। उस दिन सारे भारतवर्षमे हड़ताल रही । २३ दिसम्बरको वायसरायने दो और आडिनेन्स जारी किये । संयुक्तप्रान्तके कुछ जिलोमे भी लगानवन्दीका आन्दोलन शुरू किया गया । वारडोली और वोरसद ताल्लुकेके किसानोने अपना घर-बार छोड़ दिया और पासके बड़ौदा राज्यमे चले गये । १६ जनवरी सन् १९३१को इङ्गलैण्डके प्रधान सचिवने अपने
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