भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनका इतिहास ४५ उत्तर मन्तोप-प्रद न था, इसलिए १२ मार्चको महात्माजीने लगभग ८० सत्याग्रही स्वयं- सेवकोके साथ नमक-सम्बन्धी कानून तोड़नेके लिए डाँडी (यह सूरत जिलेमे समुद्र-तटपर एक स्थान है) की ओर प्रस्थान किया। रास्तेमे जहाँ-जहाँ महात्माजी रुकते थे वहाँ-वहाँ बहुत बड़ी-बडी सभाएं होती थी। गाँवके मुखिया और पटेलोने राष्ट्रीय-अान्दोलनमे सम्मिलित होनेके लिए त्यागपत्र देना आरम्भ किया और इस दौरेसे गुजरातमे अपूर्व जागृति हो गयी । ६ अप्रैलको महात्माजीने डाँडीमे समुद्रके किनारे नमक-कानूनको भंग किया । २१ मार्चको अखिल भारतवीय काग्रेस कमेटीने यह निश्चय किया था कि जवतक महात्माजी डाँडी पहुँचकर नमक कानूनको नहीं तोडते तवतक प्रान्तीय काग्रेस- कमेटियाँ अपने-अपने प्रान्तमें सत्याग्रह शुरू न करे । ६ अप्रैलको सत्याग्रह आरम्भ करनेका अधिकार समस्त देशको मिल गया । जगह-जगह नमक बनने लगा और बेचा जाने लगा। लोगोकी गिरफ्तारियां शुरू हो गयी। गुजरातमे कई जगह सामूहिक रूपसे नमक सत्याग्रह किया गया। ऐसे स्थानोमे जो समुद्रतटके करीब थे नमक सत्याग्रहकी विशेष सुविधा थी। पुलिसका अत्याचार शुरू हो गया। प्राणन्दमे सत्या- ग्रहियोके गिविरपर रात्रिमे हमला किया गया और बेरहमीके साथ सत्याग्रही मारे गये । धुलेरामे नमक छीननेके लिए पुलिसवालोने सत्याग्रहियोके ऊपर अमानुपिक अत्याचार किये । इस प्रकारकी घटनाएं सामान्य हो गयी। धीरे-धीरे यह आन्दोलन सब प्रान्तोमे फैल गया । नमक-सत्याग्रहके साथ-साथ मादक द्रव्य-निपेध तथा विदेशी वस्त्रके वहिष्कारका कार्य जोरोसे शुरू हुमा । जगह-जगह शराव और विदेशी वस्त्रकी दूकानोपर धरना दिया जाने लगा । रोजकी गिरफ्तारियोसे लोगोका जोश बढ़ने लगा। लोगोके बढते हुए जोशको देखकर पुलिसका अत्याचार भी बढने लगा। राष्ट्रके इस अपूर्व वलिदानको देखकर सारे ससारका ध्यान भारतकी ओर आकृष्ट हो गया । २३ अप्रेलको पेशावरमे बिना किसी प्रकारकी चेतावनी दिये हुए शान्त और निहत्यी जनतापर सशस्त्र मोटर गाड़ियाँ वेगमे दौडा दी गयी और बहुत देरतक भीड़पर गोलियोकी वर्षा जारी रही। लोग एक बडी सड्यामे मरे और घायल हुए । वर्किङ्ग कमेटीने १४ मईको श्री विठ्ठलभाई पटेलके सभापतित्वमे पेशावर जाँच-कमेटी नियुक्त की। अधिकारियोने कमेटीके सदस्योको सीमाप्रान्तके भीतर जानेकी इजाजत नहीं दी, इसलिए कमेटीने रावलपिण्डीमे ही जाँचका काम शुरू किया और जब कमेटीकी रिपोर्ट प्रकाशित हुई तो सरकारने उसे जब्त कर लिया। २७ अप्रैलको वायसरायने प्रेस याडिनेस पास किया। ५ मईको महात्माजी कराडीमे गिरफ्तार कर लिये गये, और यरवदा जेलमें अनिश्चित कालके लिए वन्द कर दिये गये । सत्याग्रहियोने वडाला और धरसानाके नमकके कारखानो- पर धावा बोल दिया। धरसानाके हमलेमे महात्मा गाधीके बहादुर सत्याग्रहियोने भाग लिया था। इन हमलोमे पुलिसने सत्याग्रहियोपर लाठीका प्रहार किया था, लेकिन सत्याग्रहियोने वीरता और शान्तिके साथ उस अत्याचारका मुकावला किया । वर्किङ्ग कमेटीने मईको वैठकमे यह निश्चय किया कि करवन्दीके आन्दोलनके प्रारम्भ करनेका समय आ गया है और अपना यह मत प्रकट किया कि ऐसे प्रान्तोमे जहाँ रैयतवारी प्रथा
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