३८ राष्ट्रीयता और समाजवाद लिए ही हम कौसिलमे गये हैं। १९२५की कांग्रेसने स्वराज्य-पार्टीके कार्य-क्रमको अपना लिया और प्रान्तीय कांग्रेस-कमेटियोकी कार्य-कारिणी समितियोको अगले चुनावके लिए उम्मेदवार खड़ा करनेका अधिकार दिया । काग्रेसने १८ फरवरी १९२४ की राष्ट्रीय माँगको भी अङ्गीकार किया। 'और इस सम्बन्धमे यह निश्चय किया कि वडी व्यवस्थापक- सभाकी स्वराज्य-पार्टी शीघ्रसे शीघ्र सरकारको अपना अन्तिम निर्णय देनेके लिए आमन्त्रित करे और यदि अगली फरवरीके अन्ततक सरकार अपना निर्णय न बतावे या सरकारका निर्णय सन्तोप-प्रद न पाया जाय, तो उस अवस्थामे स्वराज्य दलके सदस्य कौसिलोका परित्याग कर दे। काग्रेसने अखिल भारतवीय कांग्रेस कमेटीको कॉन्सिल-' सम्बन्धी कार्य-क्रम बनानेका अधिकार दिया । इस निश्चयके अनुसार अखिल- भारतवर्षीय काग्रेस कमेटीने दिल्लीको वैठकमे (६, ७ मार्च १९२६) नीचे लिखा कार्यत्रम स्वीकार किया- १. जवतक कि सरकार राष्ट्रीय मांगका सन्तोपप्रद उत्तर नहीं देती तबतक ऐसे किसी पदको स्वीकार न करना जिसका देना या न देना सरकार के अधीन हो । २. जवतक सरकारका उत्तर सन्तोपप्रद नही होता तवतक वजटको नामंजूर करना । ३. ऐसे सब कानूनोको नामंजूर करना जिनके द्वारा नौकरशाही अपनी शक्तिको मजबूत करना चाहती है। ४. व्यवस्थापक-सभालोमे ऐसे सब प्रस्ताव और विल पेश करना या उनका समर्थन करना जो राष्ट्रीय जीवनके विकास तथा देशकी आर्थिक, औद्योगिक और व्यावसायिक उन्नतिके लिए आवश्यक हो । ५. जमीदारोके स्वत्वोका उचित विचार करते हुए उपयुक्त कानूनद्वारा किसानोकी अवस्थाको उन्नत करनेका प्रयत्न करना। ६. सामान्यतः मजदूरोके अधिकारोंकी रक्षा करना और जमीदार किसान तथा पूंजीपति और मजदूरके पारस्परिक सम्वन्धका समाधान करना । स्वराज्य-पार्टीके कुछ सदस्य पद स्वीकार करनेके पक्षमे थे। ऐसे लोग धीरे-धीरे स्वराज्य-दलको छोड़ने तगे। इन लोगोने अपना एक नया दल बना लिया। उसका नाम रेस्पांसिविस्ट कोआपरेशन पार्टी रखा गया । चुनावके समय कांग्रेसको प्रतिस्पर्धा करनेके लिए हिन्दू सभाके कुछ नेताग्रोने इण्डिपेण्डेण्ट कांग्रेस पार्टी भी कायम की। इन दोनो विरोधी पार्टियोकी एक ही नीति थी। इस विरोधके कारण चुनावमे कांग्रेसको वहुत अच्छी सफलता न मिली। सुधार-जॉच-कमेटीकी नियुक्तिके समयसे ही लोगोकी यह धारणा हो चली थी कि कुछ न कुछ सुधार अवश्य दिये जायेंगे । इसी विचारसे डाक्टर वेसेटने १९२५मे कामन- वेल्थ आव् इण्डिया विल तैयार किया । मुस्लिम लीग फिरसे जिन्दा की गयी और नये १. यह नोट करनेकी बात है कि काग्रेसके प्रस्तावमे सितम्बर १९२५ की राष्ट्रीय मॉगका उल्लेख नहीं है।
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